मराठी भजन. शुध्द बीजापोटी | फळे रसाळ गोमटी || १ || मुखी अमृताची वाणी | देह देवाचे कारणी | २ || सर्वांगी निर्मळ | चित्त जैसे गंगाजल || ३ || तुका म्हणे जाती | ताप दर्शने विश्रांती ,|| ४ || हिंन्दी। रूपांतर
शुद्ध बीज के अंदर। फल रसीली सुंदर ||१||। मुहमें अमृत जुबान | देह ईश्वर कारण||२ || सर्वांग निर्मल | चित्त जैसे गंगाजल || ३ || कहे तुका ताप जाय | दर्शन विश्राम पाय ||४ ||
No comments:
Post a Comment