Tuesday, July 4, 2017





राग : जयजयवंती    ताल : तीनताल
रचना क्र. १ स्थाई :
नादान अँखिया लागी | 
सगरी  रैन हूँ तो जागी || 

अंतरा :
जबसे अंखिया लागी प्रेमसों | 
सुखकी नींद मैं त्यागी ||


राग  : जयजयवंती    ताल : तीनताल


रचना क्र. २ 
स्थाई 

मोरे मंदिर अब क्यों नहो आये | 
का ऐसी भूल भयी मोरी आली  \\

अंतरा 
प्रेमपिया की आँखिया तरस रहै  
किन सौतन बरमाये है  || 

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