राग : जयजयवंती ताल : तीनताल
रचना क्र. १ स्थाई :
नादान अँखिया लागी |
सगरी रैन हूँ तो जागी ||
अंतरा :
जबसे अंखिया लागी प्रेमसों |
सुखकी नींद मैं त्यागी ||
रचना क्र. २
स्थाई
मोरे मंदिर अब क्यों नहो आये |
का ऐसी भूल भयी मोरी आली \\
अंतरा
प्रेमपिया की आँखिया तरस रहै
किन सौतन बरमाये है ||
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