Saturday, June 9, 2018

रिश्ते हो या रास्ते

अक्सर आकर फसते |  रिश्ते हो या रास्ते || १ || 
कुछ पैदाइशी  होते | कुछ आपनहि बनाते ||२|| 
कभी चलते कभी रुकते | पीछे मुड़के देखते || ३||
खुदपेहि खुश होते | थोड़ा बहुत पछताते || ४|| 
क्या खोया क्या पाया | हिसाब लगाए रहते || ५ || 
कभी मोड़ देते तो | कभी ख़त्म कर देते || ६|| 
जभी अपना मानते | वापस नहीं छोड़ते || ७|| 
खुदबखुद चलते नहीं | दोनों चलाने पड़ते ||८ || 
दोनोंका अंत नहीं | ये क्यूँ नहीं समज़ते || ९ | 
दिमागसे भले जानते | दिलसे कहाँ मानते || १० || 
राह राहबर दोनों गुजरते | फिर याद किसको आते || ११ || 
सदियोंसे यही आया चलते | सिर्फ ग्यानी पार लगाते || १२ || 

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